कबीर की गाथा काशी में होगी जीवंत, इस राज्य से मंगाए गए पत्थरों पर उकेरी जाएगी उनकी कहानी
"कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसे हम रोए। ऐसी करनी कर चलो हम हंसे जग रोए।" कबीर का लिखा यह दोहा आज उन पर ही चरितार्थ हो रहा है।
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