सीलमपुर में हालात सामान्य, पुलिस ने किया फ्लैग मार्च
नई दिल्ली संशोधन कानून () के खिलाफ उत्तर पूर्वी दिल्ली के और जाफराबाद इलाकों में प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के एक दिन बाद बुधवार को इलाके में शांति रही। पुलिस और आरएएफ की टीमों ने फ्लैग मार्च किया। गौरतलब है कि मंगलवार को इस कानून को वापस लेने की की मांग और जामिया मीलिया इस्लामिया में पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ मंगलवार को निकल रहा मार्च हिंसक हो गया था। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया था और आगजनी की थी। इसके बाद पुलिस को स्थिति पर काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़ने पड़े थे। बुधवार को इलाके में शांति थी। सारे बाजार और स्कूल खुले हुए थे। पुलिस स्थिति पर पैनी निगाह रख रही है और इलाके में जगह-जगह अर्द्धसैनिक बलों की मौजूदगी रही। पुलिस ने एहतियाती तौर पर 14 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी है। यह धारा हर्ष विहार और सोनिया विहार इलाकों में लागू नहीं है। इसके तहत चार लोग एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं। सोशल मीडिया पर भी निगरानी कर रही है पुलिस कुछ सोशल मीडिया हैंडल्स की निगरानी कर रही है ताकि गलत जानकारी को फैलने से रोका जा सके। पुलिस ने लोगों से शांति की अपील की है। डीसीपी कार्यालय (उत्तरपूर्वी) ने ट्वीट किया, ‘उत्तरपूर्वी जिले में धारा 144 लगाई गई है। पुलिस ने फ्लैग मार्च किया। लोगों से शांति और सद्भाव का माहौल कायम रखने और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की गई है।' हिंसा के बाबत पुलिस ने दो प्राथमिकियां दर्ज की हैं। पुलिस ने हिंसा के संबंध में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं, बृजपुरी इलाके में हुई घटना के लिए दयालपुर थानाक्षेत्र से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। जाफराबाद आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष शाहीद चंगेजी (54) ने बताया कि इलाके में सबकुछ सामान्य है। उन्होंने हिंसा के लिए बाहर से आए असामाजिक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया। चंगेजी ने कहा, 'मंगलवार को प्रदर्शन का आह्वान किया गया था, जिस वजह से दुकानें बंद थी। स्थानीय लोग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे और इलाके में मार्च कर रहे थे। तभी कुछ बाहरी लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। वे जाफराबाद इलाके के नहीं थे और उनमें से कई ने अपने चेहरे ढके हुए थे। वे जनता कॉलोनी से आए थे और उन्होंने तीन मोटरसाइकलें जला दीं और बसों सहित कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की।' आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने सीलमपुर, जाफराबाद और जामिया मीलिया इस्लामिया के पास इस कानून के विरोध में हिंसा के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है।
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