दस हजार लड़कियों का यौन शोषण, FIR नहीं
मुंबई पिछले सप्ताह हैदराबाद रेप कांड के बाद भोपाल की अतिरिक्त अधीक्षक पल्लवी त्रिवेदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी है। इसमें बताया गया है कि एक पैरंट के रूप में, व्यस्क लड़की के रूप में, जिम्मेदार पड़ोसी और नागरिक के रूप में लोग क्या कदम उठाएं, जिससे कि हमारे आसपास की लड़कियों के साथ ऐसी जघन्य घटना न हो। महाराष्ट्र में जाणीव ट्रस्ट पुलिस के साथ मिलकर पिछले साढ़े चार साल से ऐसी पहल कर रहा है। इसमें आठवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों को यौन हिंसा के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है। इसी जागरूकता अभियान के दौरान 10 हजार लड़कियों ने बताया कि उनका किस तरह किया गया। महत्चपूर्ण यह है कि इतनी जानकारी देने के बावजूद आधा दर्जन एफआईआर भी पुलिस में दर्ज नहीं हुईं। जाणीव ट्रस्ट के संस्थापक मिलिंद पोंक्षे ने बताया कि शिकायतों के एफआईआर में तब्दील न होने की मूल वजह यह रही, क्योंकि पीड़ित लड़की के परिवार वाले ही पुलिस में जाने के खिलाफ रहे। परिवार वालों का मानना था कि इससे लड़की और परिवार की बदनामी होगी। मिलिंद कहते हैं कि पिछले साढ़े चार साल में जाणीव ट्रस्ट की तरफ से ढाई लाख लड़कियों को यौन शोषण के खिलाफ जागरूक किया है। इस संबंध में सोमवार तक अलग-अलग स्कूल कॉलेजों में 625 लेक्चर दिए जा चुके हैं। उसी दौरान जिन 10 हजार लड़कियों ने अपने साथ हुए यौन शोषण की बात बताई, उन्हीं लड़कियों से बातचीत में यह भी पता चला कि इनमें से एक हजार लड़कियों का उनके परिवार के लोगों ने ही यौन शोषण किया। जाणीव ट्रस्ट का लड़कियों को शिक्षा देने का मूल मंत्र है-- ‘किसी पर भरोसा करने से पहले दस बार सोचो’। चार साल से चल रहा अभियान अगस्त, 2015 में आरती वाढेर नामक यूनिवर्सिटी छात्रा के साथ मिलकर जब इस अभियान के तहत पहला लेक्चर दिया गया था, तब सोशल मीडिया के बारे में लड़कियों को इतना नहीं बताया जाता था। अब उन्हें फेसबुक और इंस्टाग्राम में अनजान लोगों से दोस्ती के खतरों के बारे में भी जागरूक किया जाता है। मिलिंद पोंक्षे कहते हैं कि हैदराबाद रेप कांड के बाद बहुत से लोग सोशल मीडिया पर बहुत कुछ लिख रहे हैं। सच यह है कि इनमें से अधिकांश जब अपने आसपास किसी नाबालिग, बालिग या महिला के साथ अपराध होते देखते हैं, तो खामोश रहते हैं। यदि ये लोग उसी वक्त, जब अपराध देखते हैं, पुलिस को सूचित कर दें, तो भी लड़कियों, महिलाओं के खिलाफ अपराधों का बहुत हद तक रोका जा सकता है। जब भी जाणीव ट्रस्ट के लोग स्कूल, कॉलेज में लेक्चर देने जाते हैं, उस दौरान महाराष्ट्र पुलिस की तरफ से भी तीन चार लोग साथ में रहते हैं। 'सुरक्षित मुंबई' में भी हर साल 700 से ज्यादा रेप आर्थिक राजधानी मुंबई को महिलाओं के लिए देश के सबसे सुरक्षित शहरों में गिना जाता है। बावजूद इसके यहां हर साल औसतन 700 से ज्यादा रेप हो रहे हैं। प्रजा फाउंडेशन ने जो डाटा निकाला है, उससे पता चला है कि पिछले दो सालों में यह आंकड़ा और भी डरावना है। साल 2017-18 में मुंबई में 792 बलात्कार के केस दर्ज हुए, जबकि 2018-19 में यह संख्या 784 थी। साल, 2015-16 में 728 मामले दर्ज हुए थे। 2014-15 में 643 व 2016-17 में 576 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर हुई। रेप से ज्यादा छेड़छाड़ के मामले छेड़छाड़ के केस तो रेप से बहुत ज्यादा हैं। साल 2018-19 में 2533 केस एफआईआर के लिए पुलिस के पास आए। 2017-18 में यह संख्या 2358 थी। 2015-16 व 16-17 में भी क्रमश: 2145 व 2103 केसों में एफआईआर हुई। पिछले पांच साल में सबसे कम छेड़छाड़ के केस 2014-15 में हुए। इस साल 1675 एफआईआर पुलिस के पास आईं। खास बात यह है कि इन पांच सालों में रेप के केसों का सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत ग्राफ नार्थ सेंट्रल मुंबई में बढ़ा। इस रीजन में विले पार्ले, कुर्ला, बांद्रा, चेंबूर आते हैं। सबसे कम रेप दक्षिण मुंबई में हुए। छेड़छाड़ में सबसे ज्यादा वारदात नार्थ मुंबई में हुईं। इसमें दहिसर, बोरिवली, कांदिवली और मालाड आते हैं। यहां पिछले पांच साल में 78 प्रतिशत इस अपराध का ग्राफ बढ़ा।
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